ज़िन्दगी तो चार दिनों की मेहमान है,
यहाँ आना और आके चले जाना सबका काम है।
जो ज़िन्दगी को जीता है,
खुशियों को देता है,
सबको हंसाता है, और
हंसा के चला जाता है,
उस ज़िन्दगी को लोग कहते महान है,
ये ज़िन्दगी तो चार दिनों की मेहमान है।
ज़िन्दगी की जियो तुम शान से,
मुस्कान लो कलियों की मुस्कान से।
ज़िन्दगी तो खुशियों की हर खान है,
खुशियाँ तो ज़िन्दगी की रसपान हैं।
(डेढ़ दशक पहले के भाव) जारी है.........
जय हिंद!
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