शनिवार, 3 अप्रैल 2010

सांसारिक मोह!

अगर तुम हमको मिले होते,
तो ख़ुशी हमको कितनी होती।
जीवन के इस मंझधार में,
ज़िन्दगी कभी यूँ ना रोती॥

राह में हमने सदा,
दुःख को ही अपना बनाया।
जो मिला हमें प्यार से,
उसको गले हमने लगाया॥

ज़िन्दगी ने हर मोड़ पे,
हमको कुछ हरदम सिखाया।
गर्व को तोडा हमेशा,
अपनों से सबको मिलाया॥

दुःख ने है जिसको सताया,
प्यार भी उसने है पाया।
प्रेम एक मीठा ज़हर है,
दर्द को इसने हराया॥

(डेढ़ दशक पहले के भाव) जारी है........

जय हिंद!

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