शुक्रवार, 19 मार्च 2010

हिंदी, हिंद का गौरव

जिस धरती पर जन्म लिया, उस धरती का तुम मान करो।
जिस भाषा ने ज्ञान दिया, उस भाषा का सम्मान करो॥

जिस धरती पर संस्कृति का, सबसे पहले विकास हुआ।
क्या उस धरती पर ही, उनकी भाषा का है अब ह्रास हुआ॥

जिस भाषा से गाँधी ने था, जन-जन का आह्वान किया।
जिस भाषा को संविधान ने भी था सम्मान दिया॥

उस भाषा के निज गौरव पर, तुम भी अब अभिमान करो
उस भाषा के स्वाभिमान को, वापिस लाने का फिर तुम अब अधिष्ठान करो॥

भारत माँ के चरणों में, हम नित-नित शीश नवायेंगे।
भाषा के खोये गौरव को, हम फिर वापिस लायेंगे॥

जिस भाषा ने आज तक दिया था सबको ज्ञान।
उस भाषा का आज फिर धरना हमको ध्यान॥

जिस पश्चिम के देश ने था हमको भी गुलाम किया।
उस पश्चिम की भाषा पर क्या तुमने है अब आस किया?

जिस भूमि पर सत्य ही सदा रहा सगुण सर्वेश।
उस भाषा का एक ही प्रेम है निर्गुण सन्देश॥

(डेढ़ दशक पहले के भाव) जारी है.........

जय हिंद........

3 टिप्‍पणियां:

  1. HI BHAI JI KASE HAN.AUR MANCH KA KAM KAISE CHAL RAHA HAI?
    AK NIVEDAN HAI AAP SE MERA KI MANCH KE SADASYO KI EK NIIYAMIT SUCHI BANAIYE, JISME SANSTH KE SABHI KENDRIYA SADASYO KA NAM RAHE.
    AYR USE MANCH KE SAIDE PAR BHI LE AYE.
    DHANYABAD.
    JAI HIND ----- JAI BHARAT.
    ABHISHEK TIWARI"SANDEEP"

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  2. आ सपनो का घर बनाये, अपनी हँसी से इसे सजाये, विश्वास की नीव पे, प्यार की ईंट लगाये ! रिश्तों की दीवार पे, खुशियों की छत लगाये, समझदारी की खिड़की हो, शरारत के किवाड़ लगाये ! हाँ तब रहेंगें हम सच - मुच मजबूत, आ, जिंदगी भर एक दुसरे से प्यार का सिस्ता निभाएं ! द्वारा- "आजाद हिंद मंच"

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