शुक्रवार, 6 फ़रवरी 2009

आदर्श बनना (बनाना) पड़ेगा

जब हम जन्मे जगत में जग हंसा हम रोये,
ऐसी करनी कर चलें हम हँसे जग रोये।

मेरी ज़िन्दगी का यही फलसफा है, इसको मैं कितना पूरा कर पाउँगा ये तो वक्त ही बताएगा। जब से मैंने होश संभाला है, दुनियादारी समझनी शुरू की तब से मैंने हमेशा दूसरों के बारे में, समाज के लिए कुछ करने के लिए हमेशा उद्दत रहा। लेकिन कई बार निराशा भी मिली क्योंकि-

दुनिया को मोह नही डूबते सितारों से,
प्यार नही एक से, दिखावा हजारो से

दुनिया की यही रीती है। इस रीती को बनाया किसने ये बहस का मुद्दा हो सकता है। लेकिन हमारा फ़र्ज़ क्या बनता है। हमारा फ़र्ज़ है एक आदर्श स्थापित करने की। इसके लिए हमें दूसरे का मुह नही देखना चाहिए, पहल जरूरी है, रास्ता तो अपने आप बन जाएगा।

जिस ओर जवानी चलती है,
उस ओर ज़माना चलता है।

इसके उदहारण है चंद्रशेखर आजाद, सरदार भगत सिंह, अशफाक उल्लाह खान, रामप्रसाद बिस्मिल, सुखदेव, राजगुरु, जिन्होंने आज़ादी की लड़ाई में अहम् भूमिका निभाई और एक मिसाल कायम की, ऐसे महावीरों को हमारा नमन, आजाद हिंद मंच का नमन।

जय हिंद!

6 टिप्‍पणियां:

  1. आपका हिंदी ब्लॉग जगत में स्वागत है .आपका लेखन सदैव गतिमान रहे ...........मेरी हार्दिक शुभकामनाएं......

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  2. बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

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